Yaaro ki mahfil ka motivation
"एक" ही "समानता" है "पतंग" और "ज़िन्दगी" में...!!
"ऊँचाई" में हो तब तक ही "वाह वाह" होती है..
"कदमों की रफ्तार धीमी जरूर है..."
____👉 मगर खुद के दम पर है।
*जिंदगी चाहे एक दिन की हो या चार दिन की उसे ऐसे जिओ जैसे जिंदगी तुम्हें नहीं जिंदगी को तुम मिले हो।*
तुम ज़माने से छीन लाओ उसे
रोने धोने से कुछ नहीं होगा