Today
*अदब से खड़े हैं , अल्फाज़ ख्यालों के पीछे।* *कौनसा ख्याल छिपाए ओर कौनसा लिखें ।* -महफिल यारों की दिल से ✍️दिल तक
देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए,
हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए ।
सफर शुरू किया था की घर जायेंगे,
ये किसने सोचा था की मर जायेंगे ।
रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था,
एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था।😢😢😢