खुद का नही देखते चरित्र,
और ज्ञान बांटते फिरते है पवित्र...
और ज्ञान बांटते फिरते है पवित्र...
पसीने की स्हायी से लिखे पन्ने कभी कोरे नहीं होते जो करते है मेहनत दर मेहनत उनके सपने कभी अधूरे नहीं होते..
मार्मिकता की पराकाष्ठा है.... बस निशब्द हूं...
खींचे हुए इस फोटो के बारे में क्या लिखूं ? समझ से परे है। जंगल राज में ऐसा आम है, मगर इस फोटो की तो बात ही कुछ और है। शेर ने अपना शिकार किया और बेबस शिकार अपने आंचल से लिपटी ममता से मुक्त भी न हो सकी। दूधमुंहा बच्चा तो मां के साये में मौत के भय से भी अनजान है। फोटोग्राफी तो बहुत होती है, मगर कभी कभी बहुत मार्मिक हो जाती हैं। इसीलिए क्या कहूं, इस चित्र पर बस निशब्द ही रहा जा सकता है......